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देश में बड़ी संख्या में प्राचीन स्मारक और विरासत स्थल बिखरे पड़े हैं जो भारतवर्ष के हजारों वर्षों के इतिहास को समेटे हुए हैं जिसमे दिल्ली में अकेले 1300 से अधिक विरासत स्थल विभिन्न कालखंडो का प्रतिनिधित्व करते हैं।

दिल्ली देश के रोचक शहरों में से एक है और अपना अद्वितीय स्थान रखता है क्योंकि इसमे न केवल कई पुरातन राजवंशों की राजधानी होने का ऐतिहासिक अतीत है बल्कि वर्तमान में यह देश की राजधानी भी है।

सूरजकुंड, अनंगपुर इत्यादि प्रागैतिहासिक (Pre-Historic) पुरास्थलों से प्राप्त हजारों की संख्या में पाषाण उपकरण इसके प्रमाण हैं कि दिल्ली प्रागैतिहासिक काल से ही मानव गतिविधियों का केंद्र रहा है वहीं भोरगढ़, मंडोली, खरखरी नहर आदि पुरास्थलों से प्राप्त उत्तर हड़प्पा काल के पुरावशेषो से प्रमाणित होता है कि 2000 बी.सी.ई. में भी यह शहर आबाद रहा था। पुराना क़िला परिसर में प्राचीन नगर इंद्रप्रस्थ के हुए पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त पुरावशेषो से यह प्रमाणित होता है कि मौर्य युगीन चौथी-तीसरी शताब्दी बी.सी.ई. से लेकर मुग़ल काल तक निरंतर यह जगह विभिन्न सांस्कृतिक काल में आबाद रहा था।

श्रीनिवासपुरी के अरावली के पहाड़ी पर उत्कीर्ण सम्राट अशोक के लघु शिलालेख(273-236 बी.सी.ई.) इसके प्रमाण हैं कि मौर्यकाल में इसके आसपास का क्षेत्र एक समृद्ध शहर हुआ करता था।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार दिल्ली के पहले पूर्व मध्ययुगीन शहर की स्थापना तोमरों ने लगभग 736 ई.पू. की थी। जिसके बाद क्रमशः चाहमानों (चौहानों), गुलाम वंश, खलजी वंश, तुग़लक वंश, सैयद वंश, लोदी वंश, मुग़ल वंश और आखिर में अंग्रेजों द्वारा शासन किया गया। प्रचलित परम्पराओं के अनुसार दिल्ली सात शहरों का शहर है जैसे रायपिथोरा और लालकोट (दिल्ली का पहला शहर, तोमर और चौहानों द्वारा स्थापित), सिरी किला (दिल्ली का दूसरा शहर, अलाउद्दीन खिलजी द्वारा स्थापित), तुगलकाबाद (दिल्ली का तीसरा शहर) ग्यासुद्दीन तुगलक द्वारा स्थापित, जहांपनाह (दिल्ली का चौथा शहर, मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा स्थापित), फिरोजाबाद (दिल्ली का पांचवां शहर, फिरोज शाह तुगलक द्वारा स्थापित), दीनपनाह (दिल्ली का छठा शहर, हुमायूं द्वारा स्थापित) और शाहजहाँनाबाद (दिल्ली का सातवाँ शहर, शाहजहाँ द्वारा स्थापित) है किन्तु अगर छोटे-छोटे शहरों और गाँवों को इस सूची में शामिल किया जाए तो यह संख्या बढ़कर 15 तक पहुँच जाती है। 

इसमे कोई संदेह नहीं कि दिल्ली भारत के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शहरों में से एक है क्योंकि इसने कई सभ्यताओं के उत्थान और पतन को देखा है। ऐसे विविध और विचित्र इतिहास के कारण यह आश्चर्य की बात नहीं है कि दिल्ली खुद में आकर्षक अतीत के ढेरों धरोहरों और स्मारकों को समेटे हुए है।

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण में है और उसे प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के तहत केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है वहीं वो संरक्षित योग्य स्थानीय स्मारक जिसको संरक्षित करने की आवश्यकता प्रतीत होती है उसे संबन्धित राज्य सरकारों के पुरातत्व विभाग द्वारा निर्मित कानूनों के प्रावधानों के अंतर्गत संरक्षित किया जाता है। इसलिए, प्रत्येक राज्य सरकार के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र के तहत स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव के लिए पुरातत्व विभाग की स्थापना करे।

दिल्ली में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को छोड़कर अन्य स्मारकों की सुरक्षा और रखरखाव की दृष्टि से 1978 में दिल्ली प्रशासन में पुरातत्व विभाग की स्थापना की गई थी।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र,दिल्ली सरकार के अंतर्गत कार्यरत पुरातत्व विभाग ने दिल्ली की खोयी हुई कला और स्थापत्य की इन विस्मृत उत्कृष्ट कृतियों के पुनरुद्धार लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।

अब तक  पुरातत्व विभाग ने स्मारकों के सुरक्षा और संरक्षण के दृष्टिकोण से 238 से अधिक स्मारकों की पहचान की है (संलग्नक-1) वहीं अभी तक विभाग ने 19 स्मारकों को संरक्षित स्मारक घोषित करने के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है (संलग्नक-2)। इनके अलावा 35 चिन्हित स्मारकों को  दिल्ली प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 2014 के अंतर्गत  संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रारंभिक रूप से अधिसूचित कर दिया गया है (संलग्नक-3)।

ये स्मारक प्राचीन काल से लेकर औपनिवेशिक काल (Colonial Period) तक के श्रेणियों में शुमार हैं जिनमें पुरातात्विक स्थल, किले की दीवारें, मकबरे, मस्जिदें,बावड़ियाँ,प्रवेश द्वार,उद्यान,स्मारक,औपनिवेशिक भवनें,महलें आदि शामिल हैं जिसमे उत्तरी रिज पर स्थित म्यूटिनी मेमोरियल, जहाँगीर पुरी में मकबरा पैक, लोधी रोड में गोल गुंबद, महरौली में झरना, अजीमगंज की सराय, वसंत विहार में बड़ा लाव का गुंबद, गुलमोहर पार्क में दरवेश शाह की मस्जिद, चांदनी चौक पर तुर्कमान गेट आदि प्रमुख है। विभाग ने अब तक दिल्ली के लगभग 70 स्मारकों का सफलतापूर्वक संरक्षण कार्य करवाया है।

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