ये विरासत स्थल और स्मारक न केवल राजधानी दिल्ली की पहचान को परिभाषित करने के लिए अनिवार्य हैं अपितु ये धरोहरें दिल्ली के नागरिकों और पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक,पुरातात्विक, वास्तुशिल्प, कार्यात्मक, आर्थिक, मनोरंजन और शैक्षणिक मूल्यों और महत्व के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
विभाग का मुख्य उद्देश्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार द्वारा संरक्षित स्मारकों के अतिरिक्त दिल्ली में स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। विभाग का उद्देश्य इन स्मारकों और स्थलों को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करना है और धरोहरों की उनकी प्रामाणिकता और अखंडता को बनाए रखना है।
पुरातत्व विभाग की प्राथमिक गतिविधियों में "दिल्ली प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 2004" के प्रावधानों के तहत स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों का सर्वेक्षण, सूचीकरण, प्रलेखन, धरोहरों की सुरक्षा, संरक्षण, परिरक्षण और उसका पर्यावरणीय विकास शामिल है और साथ ही साथ अब तक दिल्ली में किए गए पुरातात्विक अन्वेषणों और उत्खननों से प्राप्त पुरावशेषों को प्रदर्शित करने योग्य ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना करने का लक्ष्य है।
स्मारकों को प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने और उसके रखरखाव हेतु पुरातत्व विभाग के समग्र अगुआई में स्वयं सहायता समूहों (NGOs), निवासी कल्याण संघों (RWAs), सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) और निजी क्षेत्रों के संगठनों को शामिल करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।